कांग्रेस के एक नेता ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि "जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे हिंसा की बात करते हैं।" इस टिप्पणी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य हिंदू संगठनों ने व्यापक रूप से आलोचना की है, जिन्होंने नेता पर हिंदू समुदाय का अपमान करने और उसके बारे में सामान्यीकरण करने का आरोप लगाया है।
इस बयान को हिंदू समुदाय पर हमला माना गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं सहित कई लोगों ने इसकी निंदा की है। उन्होंने कांग्रेस नेता पर नफरत और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है और टिप्पणी के लिए माफ़ी की मांग की है।
इस विवाद ने हिंदू धर्म की प्रकृति और भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका के बारे में गरमागरम बहस छेड़ दी है। जहाँ कुछ लोगों ने कांग्रेस नेता के बयान का बचाव किया है, वहीं अन्य लोगों ने इसे धार्मिक आधार पर देश को विभाजित करने का प्रयास बताते हुए इसकी आलोचना की है।
राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: "हिंदुओं को हिंसक कहना न केवल गलत है, बल्कि देश को विभाजित करने का प्रयास भी है।"
भाजपा नेता अमित शाह: "कांग्रेस नेता का बयान हिंदू समुदाय का अपमान है और हम माफ़ी की मांग करते हैं।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी: "मेरा बयान भाजपा और आरएसएस द्वारा फैलाई गई हिंसा और नफरत को उजागर करने के लिए था, न कि पूरे हिंदू समुदाय के बारे में सामान्यीकरण करने के लिए।"
बयान का संदर्भ
यह बयान लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दिया गया था। कांग्रेस नेता हिंसा और घृणा अपराधों में कथित संलिप्तता के लिए भाजपा और आरएसएस की आलोचना कर रहे थे। हालांकि, उनके बयान को केवल भाजपा और आरएसएस के बजाय पूरे हिंदू समुदाय पर हमला माना गया।
बयान का प्रभाव**
इस बयान ने हिंदू धर्म की प्रकृति और भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका के बारे में गरमागरम बहस छेड़ दी है। इसने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें कई लोगों ने उन पर नफरत और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है। इस बयान को देश को धार्मिक आधार पर विभाजित करने के प्रयास के रूप में भी देखा गया है, जिसकी व्यापक रूप से निंदा की गई है।