चांदीपुरा वायरस, जिसे चांदीपुरा वेसिकुलोवायरस (CHPV) के नाम से भी जाना जाता है, एक दुर्लभ और घातक RNA वायरस है जो रैबडोविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें रेबीज वायरस भी शामिल है। इसकी पहचान सबसे पहले 1965 में महाराष्ट्र के एक गांव चांदीपुरा में हुई थी।
हाल के दिनों में, गुजरात में चांदीपुरा वायरस के संदिग्ध मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है, जो मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित कर रहा है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में वायरस से नौ बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कुल 12 मामलों की पुष्टि हुई है। वायरस मुख्य रूप से संक्रमित फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है, हालांकि टिक और मच्छर भी संक्रमण में भूमिका निभा सकते हैं। चांदीपुरा वायरस संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार, उल्टी, दौरे और मानसिक स्थिति में बदलाव शामिल हैं, जो तेजी से गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं में बदल सकता है और अगर इलाज न किया जाए तो मौत भी हो सकती है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी 12 संदिग्ध नमूनों को निश्चित परीक्षण और पुष्टि के लिए पुणे में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) को भेज दिया है। इस प्रकोप के जवाब में, स्वास्थ्य अधिकारी और राज्य सरकार वायरस के प्रसार को रोकने और प्रभावित बच्चों को उपचार प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठा रहे हैं।