हाथरस से प्राप्त ग्राउंड रिपोर्ट में भगदड़ वाली जगह पर अफरा-तफरी का माहौल दिखाया गया है। जिस जगह पर सत्संग आयोजित किया गया था, उसे "शमशान" में बदल दिया गया है और हर जगह शव बिखरे पड़े हैं। यह दृश्य पूरी तरह से तबाही वाला है, जिसमें लोगों के चप्पल, पर्स और मोबाइल फोन जैसे सामान जमीन पर बिखरे पड़े हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान:
प्रत्यक्षदर्शियों ने इस दृश्य को "भयावह" बताया है, जिसमें लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे और इस प्रक्रिया में एक-दूसरे को कुचल रहे थे। जमीन पर पानी और कीचड़ था, जिससे लोगों के लिए भागना या खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था। कई लोग अराजकता से बचने की कोशिश करते हुए रोते और चिल्लाते देखे गए।
कार्यक्रम स्थल पर जगह भी समतल नहीं थी, भोले के बाबा के पैर छूने की होड़ में भगदड़ मची है। हादसा मंगलवार दोपहर करीब दो बजे हुआ। उस समय सत्संग समाप्त हो गया था और भीड़ अपने वाहनों की ओर जा रही थी।
इसी दौरान सत्संग में स्वयंसेवकों भोले बाबा के वाहनों के काफिले को निकालने भीड़ रोक दिया। स्वयंसेवकों ने लाठी डंडों से भीड़ को धकियाकर रोकने और बाबा के काफिले की चरण धूल लेने की होड़ के बीच कुछ महिलाएं गिर पड़ी।
इसी बीच स्वयं सेवकों ने उन्हें धकेला तो वहां भगदड़ मच गई और गिरे लोगों को पीछे से आ रहे लोग कुचलते गए। इस भगदड़ के दौरान काफी संख्या में लोग एनएच के सहारे कीचड़युक्त खेत में गिर गए और उनके ऊपर से भी भीड़ गुजरती चली गई।
सुरक्षा में चूक:
ग्राउंड रिपोर्ट में सत्संग में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को भी उजागर किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा केवल 50 लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दिए जाने के बावजूद, 50,000 से अधिक लोग वहां पहुंचे। इससे भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे सुरक्षाकर्मियों पर दबाव पड़ा और भगदड़ मच गई।
भोले बाबा की भूमिका:
भोले बाबा, जिनका असली नाम नारायण साकार हरि है, सत्संग के आयोजक हैं। वे एटा जिले के बहादुर नगर गांव के स्थानीय निवासी हैं। स्थानीय पुलिस ने उनके और कार्यक्रम में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
परिणाम:
इस घटना ने पूरे हाथरस शहर को सदमे में डाल दिया है, कई लोग अभी भी इस त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने घटना से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए एक हेल्पलाइन नंबर स्थापित किया है।