18वीं लोकसभा के उद्घाटन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोग सांसदों से "बातचीत और परिश्रम" की अपेक्षा करते हैं, न कि "अशांति"। उन्होंने विपक्ष से नारों और नाटक की बजाय सार पर ध्यान देने का आग्रह किया।
नारों की बजाय सार
नए संसद भवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि लोग सांसदों से नारों की नहीं, बल्कि सार की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने विपक्ष से अनावश्यक नाटक करने से बचने और इसके बजाय रचनात्मक बहस में शामिल होने की अपील की।
जिम्मेदार विपक्ष का आह्वान
प्रधानमंत्री ने सदन में रचनात्मक और सम्मानजनक संवाद की आवश्यकता पर जोर देते हुए जिम्मेदार विपक्ष का भी आह्वान किया। उन्होंने विपक्ष से देश के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने और आम आदमी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया।
संसदीय लोकतंत्र का एक नया युग
पीएम मोदी ने इस दिन को भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक मील का पत्थर बताया, उन्होंने कहा कि देश ने दुनिया के सबसे बड़े चुनावों को देखा है, जो बहुत धूमधाम से संपन्न हुए, जो गर्व का क्षण है। उन्होंने लगातार तीसरी बार सरकार चुनने के लिए भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
नए सांसदों को संदेश
नए चुने गए सांसदों का स्वागत करते हुए, पीएम मोदी ने उन्हें उनकी जीत पर बधाई दी और उनसे 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने देश की सेवा के लिए सभी को साथ लेकर चलने और आम सहमति बनाने के महत्व पर जोर दिया।
मुख्य उद्धरण
"भारत को जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है। लोग नारे नहीं, बल्कि सार चाहते हैं; वे संसद में व्यवधान नहीं, बल्कि बहस और परिश्रम चाहते हैं।"
"देश के लोगों ने सरकार को जनादेश दिया है, और हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तीन गुना अधिक मेहनत करेंगे।"
* "आज संसदीय लोकतंत्र में एक गौरव का दिन है; यह गौरव का दिन है। आजादी के बाद पहली बार यह शपथ समारोह हमारी नई संसद में हो रहा है।"