सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश यूपी सरकार द्वारा 19 जुलाई, 2024 को जारी किया गया था, और इसका उद्देश्य कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करना और हिंदू तीर्थयात्रियों की आहार संबंधी प्राथमिकताओं का सम्मान करना था।
प्रमुख घटनाक्रम
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाते हुए अगले नोटिस तक इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दुकान मालिकों को अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि केवल यह प्रदर्शित करना होगा कि वे कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं।
यह रोक एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अन्य द्वारा यूपी सरकार के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दी गई थी।
उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों द्वारा भी इसी तरह के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का रोक तीनों राज्यों पर लागू होता है।
चिंताएँ और विवाद
विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस निर्देश की आलोचना की है, उनका तर्क है कि यह सरकार की शक्ति का अतिक्रमण है और जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है, खासकर मुस्लिम स्वामित्व वाले भोजनालयों के खिलाफ।
इस निर्देश को कुछ समूहों को कलंकित करने के प्रयास के रूप में देखा गया है, और विपक्ष ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के बारे में चिंता जताई है।
सुप्रीम कोर्ट के स्थगन का उन लोगों ने स्वागत किया है जिन्होंने तर्क दिया कि यह निर्देश अनावश्यक और संभावित रूप से विभाजनकारी था।
अगली सुनवाई**
यूपी सरकार के निर्देश के अंतिम भाग्य का निर्धारण करने के लिए 26 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की फिर से सुनवाई की जाएगी।
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