लोकसभा में इस समय वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर गहन बहस चल रही है, जिसमें सरकार और विपक्ष इसके गुण-दोष और निहितार्थों पर तीखी राय व्यक्त कर रहे हैं। भाजपा और टीडीपी समेत एनडीए समर्थित सरकार इस विधेयक को पारित कराने पर जोर दे रही है। उनका तर्क है कि इससे वक्फ संपत्तियों को मजबूती मिलेगी और मुस्लिम समुदाय को फायदा होगा। हालांकि, कांग्रेस, माकपा और विभिन्न मुस्लिम संगठनों समेत विपक्षी दल इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं। वे इसे असंवैधानिक और मुस्लिम अधिकारों और धार्मिक स्वायत्तता के लिए खतरा बता रहे हैं।
सरकार का रुख
एनडीए सहयोगियों का समर्थन: सरकार ने अपने सांसदों को मतदान के लिए लोकसभा में अपनी मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी किया है। जेडी(यू) और टीडीपी समेत एनडीए सहयोगियों ने विधेयक के प्रति समर्थन जताया है। जेडी(यू) नेता राजीव रंजन सिंह ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। विधेयक का बचाव: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह देश के हित में है और इससे सभी मुसलमानों को लाभ होगा। उन्होंने विधेयक को असंवैधानिक होने के आरोपों से बचाते हुए तर्क दिया कि यह एक सुविचारित और मसौदा तैयार किया गया कानून है।
शिवसेना का समर्थन: शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने विधेयक का पुरजोर समर्थन किया और इसकी तुलना पिछली सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और ट्रिपल तलाक और सीएए कानून पारित करने जैसे कार्यों से की। उन्होंने विधेयक का विरोध करने के लिए यूबीटी की आलोचना की और सुझाव दिया कि वे अपनी वैचारिक जड़ों को त्याग रहे हैं।
विपक्ष का रुख
कड़ी आलोचना: कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने विधेयक की कड़ी आलोचना की है और इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बताया है। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने तर्क दिया कि संयुक्त संसदीय समिति में उचित खंड-दर-खंड चर्चा के बिना विधेयक पेश किया गया और सरकार पर ऐसा कानून लाने का आरोप लगाया जो देश में शांति को भंग करेगा।
सीपीआई(एम) का विरोध: सीपीआई(एम) ने विधेयक का विरोध करने की घोषणा की है और कहा है कि उसके सांसद संसद में इसके खिलाफ मतदान करेंगे। सीपीआई(एम) के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने पार्टी के रुख का संकेत देते हुए जोर दिया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचा सकता है। मुस्लिम संगठनों का विरोध: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने विधेयक को अदालत में चुनौती देने और "काले कानून" के खिलाफ लड़ाई को सड़कों पर ले जाने की कसम खाई है। एआईएमपीएलबी के सदस्य मोहम्मद अदीब ने दावा किया कि यह विधेयक मुस्लिम संपत्तियों को जब्त करने का एक प्रयास है। विवाद के मुख्य बिंदु प्रतिनिधित्व और नियंत्रण: विवाद के मुख्य बिंदुओं में से एक वक्फ शासन में मुस्लिम प्रतिनिधित्व में कमी है। विधेयक में ऐसे बदलावों का प्रस्ताव है जो गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में सेवा करने की अनुमति दे सकते हैं, एक ऐसा कदम जिसके बारे में विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि यह असंवैधानिक है और धार्मिक स्वायत्तता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। वित्तीय और प्रशासनिक बदलाव: विधेयक में वक्फ बोर्ड में वक्फ संस्थाओं के अनिवार्य अंशदान को 7% से घटाकर 5% करने और ₹1 लाख से अधिक आय वाली संस्थाओं के लिए राज्य प्रायोजित ऑडिट शुरू करने के प्रावधान भी शामिल हैं। विपक्ष इन बदलावों को वक्फ संपत्तियों पर अधिक सरकारी नियंत्रण लगाने के प्रयास के रूप में देखता है। शांति और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती सहित विपक्षी नेताओं ने चेतावनी दी है कि यह विधेयक सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है और देश में शांति को बाधित कर सकता है। मुफ़्ती ने हिंदू भाइयों से मुस्लिम समुदाय का समर्थन करने और स्थिति को बिगड़ने से रोकने का आह्वान किया। बहस के मुख्य अंश हास्य आदान-प्रदान: समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच हास्य आदान-प्रदान ने कार्यवाही में हास्य जोड़ दिया। यादव ने भाजपा के अध्यक्ष का चुनाव करने में असमर्थता का मज़ाक उड़ाया, जबकि शाह ने भी उसी तरह जवाब दिया, जिससे सदन में ठहाके लगे। रविशंकर प्रसाद की टिप्पणी: राज्यसभा में, रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर कहा कि देश मुसलमानों और हिंदुओं दोनों का है, लेकिन सवाल किया कि मुस्लिम समुदाय का रोल मॉडल कौन होना चाहिए। उन्होंने "वोट व्यवसाय" की आलोचना की और राष्ट्रीय एकता पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
सुरक्षा उपाय
एहतियाती उपाय: वक्फ विधेयक पेश किए जाने के बाद एहतियात के तौर पर संवेदनशील स्थानों, खासकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। स्थिति पर नजर रखने के लिए फ्लैग मार्च और ड्रोन निगरानी की जा रही है, जो अब तक शांतिपूर्ण रही है।
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