सऊदी अरब ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण कारणों से हज 2025 के दौरान बिना अनुमति के मक्का में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे करीब 2.7 लाख लोगों को रोक दिया है। इस कदम ने दुनिया भर में चर्चा छेड़ दी है, क्योंकि हज इस्लाम का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें हर साल लाखों मुसलमान मक्का पहुंचते हैं। आइए इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि सऊदी सरकार ने यह सख्त कदम क्यों उठाया और इसके पीछे क्या कारण हैं।
पहला कारण: भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा
सऊदी अरब ने यह कदम पिछले साल हज के दौरान हुई दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया है। 2024 में भीषण गर्मी और अनियंत्रित भीड़ के कारण करीब 1,300 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकतर बिना परमिट वाले यात्री थे। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि बिना अनुमति के हज करने वाले लोग भीड़ को अनियंत्रित कर देते हैं, जिससे भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इस बार हज अवधि (14 जून से 19 जून 2025) के दौरान केवल अधिकृत तीर्थयात्रियों को ही मक्का में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। सऊदी गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 29 अप्रैल से 10 जून तक वैध हज परमिट के बिना मक्का में प्रवेश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दूसरा कारण: सख्त वीजा नियम और जुर्माना
सऊदी सरकार ने हज के लिए वीजा नियमों को और सख्त कर दिया है। नए नियमों के तहत, बिना परमिट के हज करने की कोशिश करने वालों को 20,000 सऊदी रियाल (करीब 4.5 लाख रुपये) तक का जुर्माना और निर्वासन जैसी कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, जो लोग अनधिकृत यात्रियों को मक्का पहुंचने में मदद करते हैं, जैसे परिवहन या आवास प्रदान करना, उन पर भी 1 लाख रियाल तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सऊदी अधिकारियों ने अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया सहित 14 देशों के लिए हज वीजा पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम उन लोगों को लक्षित करता है जो पर्यटक या अन्य वीजा का उपयोग करके हज में शामिल होने का प्रयास करते हैं।
तीसरा कारण: सुविधाओं की सीमित क्षमता
मक्का के पवित्र स्थलों में और उसके आसपास की सुविधाएं केवल 2-3 मिलियन तीर्थयात्रियों को समायोजित कर सकती हैं। मक्का में वर्तमान में लगभग 1.4 मिलियन अधिकृत तीर्थयात्री हैं, और आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। सऊदी सरकार का कहना है कि अनधिकृत यात्रियों के कारण सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है। पिछले साल गर्मी से संबंधित मौतों ने सरकार को और भी अधिक सतर्क कर दिया है, क्योंकि बिना परमिट के तीर्थयात्री अक्सर अपर्याप्त संसाधनों के साथ यात्रा करते हैं, जिससे उनके जीवन को जोखिम बढ़ जाता है।
चौथा कारण: अंतर्राष्ट्रीय दबाव और कोटा प्रणाली
सऊदी अरब प्रत्येक देश की मुस्लिम आबादी के आधार पर हज कोटा निर्धारित करता है, जिसमें प्रति 1,000 मुसलमानों पर एक सीट दी जाती है। इस वर्ष भारत के लिए कोटा 1,75,000 से बढ़ाकर 1,85,000 कर दिया गया है, जिसमें 10,000 अतिरिक्त यात्रियों को अनुमति दी गई है। हालांकि, सऊदी सरकार ने कुछ देशों और अनधिकृत यात्रियों द्वारा कोटा के दुरुपयोग की समस्या पर कड़ा रुख अपनाया है। विशेष रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी गई है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण
सऊदी अरब द्वारा यह कदम तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और हज के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। हालाँकि, इसने भारत और अन्य देशों में मुस्लिम समुदायों के बीच कुछ असंतोष पैदा किया है, क्योंकि कई लोग बिना परमिट के हज करने की कोशिश करते हैं। सऊदी सरकार ने तीर्थयात्रियों को जागरूक करने के लिए 16 भाषाओं में डिजिटल गाइड भी जारी किए हैं ताकि लोग नियमों का पालन करें। यह कदम न केवल हज की पवित्रता को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि सभी तीर्थयात्री अपनी धार्मिक यात्रा सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से पूरी कर सकें।
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