12 जून 2025 को वैश्विक मंच पर तनाव चरम पर है क्योंकि अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपने सैन्य ठिकानों और दूतावासों को हाई अलर्ट पर रखा है। इसका कारण ईरान की परमाणु सुविधाओं पर इजरायल द्वारा संभावित हमले की आशंका है। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने संकेत दिया है कि इजरायल ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला कर सकता है, जिसके जवाब में ईरान भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इस खबर ने न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इराक और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों से मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी नागरिकों और सैन्य परिवारों को निकालने का आदेश दिया है। यह कदम तब उठाया गया है जब ईरान के साथ परमाणु वार्ता विफल होने के कगार पर है। ट्रंप ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, "मैं अब परमाणु समझौते को लेकर पहले की तुलना में कम आश्वस्त हूं।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार-बार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खतरा बताया है और हमले की धमकी दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू ने अपने रक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने की योजना तैयार करें, भले ही अमेरिका-ईरान समझौता हो जाए। इससे अमेरिका और इजरायल के बीच तनाव बढ़ गया है, क्योंकि ट्रंप ने नेतन्याहू को हमला करने से रोकने की कोशिश की है, ताकि कूटनीतिक बातचीत को मौका मिल सके।
ईरान ने भी कड़ा रुख अपनाया है। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल उनके परमाणु स्थलों पर हमला करता है, तो इसके लिए अमेरिका भी जिम्मेदार होगा। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा है कि वे इजरायल को "विनाशकारी जवाब" देंगे। इसके अलावा, ईरान ने दावा किया है कि उसने इजरायल की परमाणु सुविधाओं से संबंधित संवेदनशील दस्तावेज हासिल कर लिए हैं, जो उसे जवाबी हमले की योजना बनाने में मदद कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान के पास अब लगभग 900 पाउंड हथियार-ग्रेड यूरेनियम है, जो परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता है। यह स्थिति तब और जटिल हो गई है, जब यूरोपीय देश ईरान पर नए प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं। ईरान ने जवाब में कहा है कि पश्चिमी देश अपने वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
इस बीच सऊदी अरब ने ईरान को चेतावनी भी दी है कि वह ट्रंप के साथ परमाणु समझौता कर ले, नहीं तो इजरायल के साथ युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा। इस स्थिति का असर वैश्विक तेल बाजार पर भी पड़ रहा है, क्योंकि करीब एक तिहाई कच्चा तेल मध्य पूर्व से आता है। यह तनाव मध्य पूर्व ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। अगर इजरायल हमला करता है तो इससे क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है, जिसमें अमेरिका भी शामिल हो सकता है। वैश्विक समुदाय अब देख रहा है कि क्या कूटनीति इस संकट को टाल पाएगी या स्थिति और खराब होगी।
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